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The female athlete was shocked to see a ‘ghost’ in the forest, it went viral. What happened next left people breathless, see these days

The female athlete was shocked to see a ‘ghost’ in the forest, it went viral. What happened next left people breathless, see these days

What happened next left people breathless, see these days-सोशल मीडिया पर एक ऐसी वीडियो सामने आई है जिसमें एक छोटा बच्चा अपने घर में शेर के साथ खेलते हुए नजर आ रहा है। इस वीडियो को देख लोगों की धड़कनें थम सी गई। जिसे देखकर और जानकर लोगों को यकीन नहीं होता ऐसा ही कुछ एक महिला के साथ रेस के दौरान हुआ जहां उसने एक भूत को देख लिया और ये तस्वीर जब इंटरनेट की दुनिया पर वायरल हुई तो लोग काफी ज्यादा हैरान थे। महिला ने बताया कि इस तस्वीर को उसकी दोस्त ने खींचा कई बार हम लोगों के सामने कुछ चीजें ऐसी आ जाती है। जिस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि जब कभी ऐसी कहानियां लोगों के सामने आती हैं तो लोग विश्वास नहीं करते. ऐसा ही कुछ इन दिनों भी सामने आया है। जहां के बोर्लेइस  नाम के एक महिला रनर ने खुलासा किया जिसके बारे में जानकर आज सारी दुनिया हैरान है. कई तो ऐसे हैं जो एथलीट की बात का यकीन ही नहीं कर रहे हैं।महिला बताती है कि जब साल 2019 में HURT 100 नामक दौड़ हुई और उन्होंने इसमें हिस्सा लिया तो उन्हें कई हवाई द्वीपों से गुजरना पड़ा  इस दौरान उनका सामना रहस्यमयी आकृति से हुआ। इस बात का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं जंगलों के बीच से दौड़ रही थी तो मेरी दोस्त कैसी ने रास्ते में उसकी एक तस्वीर खींची जिसमें पेड़ों के बीच एक काली आकृति दिखाई दे रही थी, जो दिखने में काफी ज्यादा डरावनी थी भूत को देखकर पूरा नहीं कर पाई रेस

हालांकि मुझे इसके बारे में जैसे ही पता चला मैं अपनी दौड़ पूरी ही नहीं कर पाई दाहिने पैर में अचानक, असहनीय दर्द होने लगा उसने बताया कि दर्द इतना तेज था कि वह रुक गई और जोर-जोर से रोने लगी। अपने इस दर्द को साझा करते हुए के बोर्लेइस  ने कहा कि मैं बचपन से एक रनर बनना चाहती थी, लेकिन इस दौड़ के बाद ही मैंने अपने इस शौक को छोड़ दिया मैंने पहले कभी दौड़ना नहीं छोड़ा है।लेकिन मुझे यह अलग महसूस हुआ कि यह शरीर से बाहर के अनुभव जैसा था और मुझे बस इसे छोड़ने का मन कर रहा था।बोरेलिस ने कहा कि वह अभी भी निश्चित नहीं है कि जीव कौन सा है।

लेकिन वह अभी भी हर्ट 100 को पूरा करने के लिए हवाई लौटने की उम्मीद करती है।इस तस्वीर को जब लोगों ने देखा तो उन्होंने कहा कि ये नाइट मार्चर्स एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि इस क्षेत्र में मृत हवाईयन योद्धाओं के भूत घूमते हैं जिन्हें नाइटमार्चर्स कहा जाता है। ये वर्षावन के निवासी “लोगों की रक्षा के लिए रात में यात्रा करते थे और ये इतने पवित्र है कि आम आदमी को कभी भी उनकी ओर देखने की अनुमति नहीं थी और यही गलती शायद के ने अपनी रेस के दौरान कर दी.विधवा, गर्भवती लड़की कुच्ची की हिम्मत और हौसले की कहानी गांव की औरतों ने दांतों तले उंगली दबाई अचरज तो इस बात का है कि गांव की उन बूढ़ियों, सयानियों को भी कानों-कान भनक नहीं लगी जो अपने को तीसमार खां समझती हैं।

जो मानती हंै कि गांव की किसी बहू-बेटी की सात पर्दे में छिपा कर की गयी ‘हरक्कत’ भी उनकी नजरों से बच नहीं सकती। वे अब भी अन्दाजा नहीं लगा पा रहीं हैं कि इस साॅड़नी ने किस छैल-छबीले को भेंड़ा बनाया और भेंड़ा बनाया तो छिपाया कहां।झटके में हुई ‘राह चलन्तू’ कमाई तो यह हो नहीं सकती। चार छः दिन का इत्मीनानी संग साथ चाहिए।सबसे पहले चतुरा अइया की नजर पड़ी। नयी पीढ़ी की उन कुछ बहू-बेटियों को छोड़कर जिनके घर में पक्के संडास बन गये है।गांव की औरतें अब भी दिशा मैदान के लिए सुबह-शाम बाबा के पोखरे वाले जंगल में जातीं हैं।

जिन घरों में संडास बन चुके हैं उन घरों की बूढ़ियां और चिरानी-पुरानी हो चुकी बहुएं भी जंगल जाना ज्यादा पसंद करती हैं। उनकी यह आदत मरने के साथ ही जायेगी। पानी-बूंदी के मौसम में मजबूरन घर में जाना पड़ा तो नाक, मुंह पर कपड़ा लपेटकर अंदर घुसती हैं।जंगल जाना सिर्फ जंगल जाना नहीं होता। जो सुख झुंड में ‘बतकूचन’ से मिलता है वह घर में कैद रह जाने से कैसे मिलेगा।एक की बात खतम नहीं होती कि दूसरी की शुरू हो जाती है। घर वापसी हो जाती है और बात खत्म नहीं होती है। तब चलते-चलते पूरा झंुड रूक जाता है।उस दिन वापस लौटते-लौटते उजास फैल गयी थी।

पुरवा के झांेके से पल-भर के लिए कुच्ची का आंचल उड़ा कि चतुरा अइया की नजर उसके पेट पर पड़ी। इतना चिकनाया पेट। पांच महीने का उभार। उनकी आंखों के कोए फैल गये। अभी तक सबकी आंखांे में धूल झोंकती रही यह बछेड़ी। लेकिन एकदम मुंहामंुही कहें कैसे। पद में वे कुच्ची की अजिया सास यानी सास की भी सास लगतीं हैं।लेकिन इतनी बड़ी बात पेट में दबा कर रखें भी तो कब तक। अफारा हो जायेगा।वे सारे दिन बेचैन रहीं। बाई उभर आयी। सांस उखड़ने लगी। किसी तरह राम-राम करके दिन काटा। शाम को मिलते ही उसे घेरा- ‘बाय गोला का रोग कहां से ले आयी रे बहुरिया अंदर तक हिल गयी कुच्ची। हाथ पैर के रोयें परपरा कर खडे़ हो गये। चतुरा अइया जैसी छछन्दी दूसरी कौन है गांव में बहुत कुछ सुन रखा है उसने। पांच-छः बच्चों की महतारी होने तक जिधर से निकलती थीं पानी में आग लगाती चलती थीं। जिसके मर्द से हंसकर बोल लेतीं उसकी ‘जनाना’ को जूड़ी चढ़ जाती थी। कांपती आवाज को काबू में करती हुई वह मिमियायी -बाय गोला का रोग सात दुश्मन को लगे अइया।फिर यह कोंछ में क्या छिपा रखा है। अइया ने उसकी नाभि में उंगली धंसाते हुए पूछा- मुझे तो पांच-छः महीने का लगता है।

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